बांटो लड्डू उड़ाओ गुलाल, आ रहा है केजरीवाल - Kejriwal's drama
सुप्रीम कोर्ट स्वयं केजरीवाल को अंतरिम जमानत के लिये विचार करने के लिए तैयार हुआ है, जबकि केजरीवाल ने जमानत की मांग किया ही नहीं है। केजरीवाल के वकील का कहना था कि केजरीवाल को बंदी बनाना ही गलत है।
जिस तरह से अरविन्द केजरीवाल का राजनीतिक जीवन जिस प्रकार नौटंकी से परिपूर्ण है लगता है न्यायिक जीवन भी नौटंकी भरा ही होने वाला है। जब सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं केजरीवाल/वकील से पूछा था कि आपने जमानत की याचिका क्यों नहीं लगाया तो केजरीवाल/वकील ने उत्तर दिया था कि हम जमानत की चर्चा कर ही नहीं रहे हैं हमारा तो ये कहना है कि बंदी बनाना ही गलत है और हम उसी को चुनौती दे रहे हैं।
केजरीवाल की नौटंकी : केजरीवाल पहले सर्वोच्च न्यायालय गये थे और सर्वोच्च न्यायालय के सुनने से पहले ही याचिका को वापस ले लिया। फिर राउस एवेन्यू कोर्ट में मामले को लेकर पहुंचे, जब वहां याचिका रद्द हो गयी तो उच्च न्यायालय दिल्ली पहुंचे तो उच्च न्यायालय ने सुनने से मना कर दिया था। उसी समय दिल्ली उच्च न्यायालय ने केजरीवाल से सम्बन्धी अन्य मामले में दो बार फटकार भी मिली थी। केजरीवाल अपनी न्यायपालिका में भी अपनी नौटंकी के कारण लगातार फंसते ही जा रहे हैं।
केजरीवाल ने क्या कहा
केजरीवाल जब से जेल में गये हैं तबसे नये-नये कानूनी पैंतरे भी अपना रहे हैं। कभी केजरीवाल ने खाने का ड्रामा किया तो कभी स्वास्थ्य और इन्सुलिन का। सर्वोच्च न्यायालय में केजरीवाल का यह तो कहना था ही कि हम जमानत की मांग नहीं कर रहे हैं, गिरफ्तारी को ही चुनौती दे रहे हैं। कारण कि यदि हमनें ED के 9 सम्मनों का उल्लंघन किया तो इसमें गिरफ्तारी कैसे हो सकती है एक नया FIR किया जा सकता है। इसके साथ केजरीवाल ने और क्या कहा वो आगे पढ़ें :
मोदी ने जेल में डाला : नीचे से लेकर ऊपर तक के न्यायालय में केजरीवाल ने यह भी कहा कि उन्हें मोदी/भाजपा ने जेल में डाला। लेकिन वो ये भूल गए कि जेल में सरकार नहीं डालती है, न्यायाधीश के आदेश से किसी को जेल भेजा जाता है। ये भी एक नौटंकी से अधिक कुछ नहीं सिद्ध हुआ।
नया केस : केजरीवाल का यह कहना है कि यदि हम ED के 9 सम्मनों पर नहीं गये तो एक और केस होना चाहिये गिरफ्तार कैसे किया जा सकता है ? गिरफ्तार करना गलत है और हम इसी को चुनौती दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल का यही मामला चल रहा है।
पदासीन मुख्यमंत्री : केजरीवाल का यह भी कहना है कि एक पदासीन मुख्यमंत्री को कैसे गिरफ्तार किया जा सकता है। इस विषय में भी वो ये भूल गये कि पदत्याग करना उनका काम है, और भी मुख्यमंत्री/मंत्री आदि बंदी बनाये गये हैं (हेमंत सोरेन तत्काल ही गिरफ्तार हुये हैं) वो स्वयं ही नैतिकता के आधार पर पदत्याग करते हैं।
आपने तो पहले से ही पदत्याग नहीं करेंगे इसके लिये भी नौटंकी किया था, इसका मतलब आपको पता है कि पदासीन मुख्यमंत्री भी बंदी बनाया जा सकता है बस नौटकी कर रहे हैं। वास्तव में केजरीवाल चाहते थे कि पदासीन मुख्यमंत्री को गिरफ्तारी से छूट मिलनी चाहिये। लोगों को केजरीवाल की वो बात भी याद होगी जो केजरीवाल ने कहा था कि मैं दिल्ली का मालिक हूँ। अर्थात केजरीवाल को इस अहंकार से ग्रस्त थे कि मैं दिल्ली का मालिक हूँ, दिल्ली की जेल हमारे अंदर है हमें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
लोकसभा चुनाव 2024
अभी लोकसभा चुनाव 2024 चल रहा है और भाजपा नहीं चाहती कि हम चुनाव में भाग लें इसलिये भाजपा ने हमें गिरफ्तार करके जेल में डाल रखा है या आम आदमी पार्टी के नेताओं को जेल भेज रही है। इसके लिये दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर किया गया है। इस PIL का आधार ये दिया गया कि भारत सरकार ने किन-किन नेताओं को चुनावी आचार संहिता लगने के बाद भी गिरफ्तार किया उसकी जानकारी चुनाव आयोग को दे और चुनाव लड़ना हमारा मौलिक अधिकार है और इसकी सुरक्षा होनी चाहये।
निर्वाचन आयोग का उतर : निर्वाचन आयोग से प्रश्न किया तो निर्वाचन आयोग ने कहा कि मैं इस विषय से सम्बंधित नहीं हूँ, ये न्यायिक प्रक्रिया है। ये निर्वाचन आयोग का काम नहीं है और न ही मैंने किसी को गिरफ्तार किया है। किसको जेल भेजना है या नहीं ये कार्य न्यायपालिका का है।
उच्च न्यायलय : जिस किसी भी पार्टी के नेता न्यायिक हिरासत में हैं वो न्यायपालिका के आदेश से है। जेल में भेजना और बाहर करना न्यायपालिका का ही कार्य है। जहां तक चुनाव है और चुनाव लड़ने के सामान अधिकार की बात है तो उसके लिये जमानत की याचिका की जा सकती है।
सर्वोच्च न्यायालय में क्या हुआ
फिर से सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद केजरीवाल ने पदासीन मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने को चुनौती नहीं दिया। सुप्रीम कोर्ट में चुनाव लड़ने के लिये अंतरिम जमानत का विषय लेकर गए। सुप्रीम कोर्ट ने दो प्रश्न किया :
- क्या अंतरिम जमानत दी जा सकती है ?
- क्या ये ऑफिसियल फाइलों पर हस्ताक्षर कर रहे हैं ?
यद्यपि ED के वकील ने विरोध करने का प्रयास तो किया किन्तु उन्होंने अंतरिम जमानत की याचिका के लिये ये कहा कि हमारा पक्ष जाने बिना जमानत नहीं दें, पुरजोर विरोध नहीं किया।
सर्वोच्च न्यायालय ये समझते हुये कि ये मामला लम्बा चलेगा चुनाव के लिये अंतरिम जमानत याचिका पर विचार करने के लिये तैयार हो गयी और दोनों पक्षों को 7 मई की तिथि दिया।
अंतरिम जमानत
अंतरिम जमानत सुनने के लिये तो सुप्रीम कोर्ट तैयार है किन्तु कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न भी खड़े हो रहे हैं यदि अरविन्द केजरीवाल जो स्वयं चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, पार्टी के लिये चुनाव प्रचार करना चाहते हैं, को चुनाव के लिये अंतरिम जमानत मिलती है तो फिर और मामलों में क्या होगा :
- बहुत सारे नेता जेल में हैं वो भी तो अंतरिम जमानत की मांग कर सकते हैं, फिर क्या होगा ?
- कल को आतंकवादी (जिसे सजा नहीं मिली हो विचाराधीन हो) भी चुनाव लड़ सकता है वो भी चुनाव के नाम पर अंतरिम जमानत की मांग करेगा, फिर क्या होगा ?
- ढेरों लोग नेता नहीं हैं, लेकिन विचाराधीन बंदी हैं यदि बेल न मिल रही हो तो वो भी नामांकन करके चुनाव के लिये अंतरिम जमानत की मांग कर सकते हैं, फिर क्या होगा ?
"बांटो लड्डू उड़ाओ गुलाल, आ रहा है केजरीवाल"
इसे मात्र एक मुहाबड़े/स्लोगन मात्र की तरह समझा जाना चाहिये, हमारा तात्पर्य यह नहीं है कि केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिल ही जायेगी या नहीं मिलेगी, ये निर्णय करना न्यायालय का कार्य है। ऐसा हो सकता है कि आम आदमी पार्टी के नेता जिस तरह से नौटंकी करते रहे हैं अब चूंकि सुप्रीम कोर्ट अंतरिम जमानत पर विचार करने के लिये तैयार है नये-नये नौटंकी करें, इस तरह के वक्तव्य दें, नयी नौटंकी करने लगें तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।
विषय की अधिक समझ हेतु D.K. Dubey जी का सन्दर्भ विडिया दिया जा रहा है
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