Modi Dictator : तानाशाह किसे कहते हैं
अभी सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेता के रूप में 21 दिनों के लिये अंतरिम बेल मिला है और बाहर आते ही उन्होंने तानाशाही के विरुद्ध लड़ाई की बात किया, जिसका अर्थ है कि वो ये कह रहे हैं कि भारत में तानाशाही है।
Modi Dictator |
कई वर्षों से हम बार-बार सुन रहे हैं तानाशाह सरकार, तानाशाह मोदी इत्यादि। एक सामान्य नियम है यदि बहुत सारे लोग मिलकर बार-बार झूठ भी बोलने लगें तो वही सत्य प्रतीत होता है। चूंकि मोदी के प्रति तनाशाह होने की बात में बारम्बारता देखी जा रही है, बहुत सारे नेता मोदी को तानाशाह और भाजपा सरकार को तानाशाह की सरकार कहते हैं इसलिये यह सामान्य जनता सत्य समझने लगे उससे पहले इस तथ्य की व्यापक समीक्षा आवश्यक है।
यहां में ये नहीं कहने जा रहे हैं कि मोदी तानाशाह है या नहीं है अपितु हम वो तथ्य, उदहारण, वीडियो आदि प्रस्तुत करेंगे जिससे यह निर्णय कर पाना सरल हो जायेगा कि मोदी तानाशाह है या नहीं, अर्थात मोदी तानाशाह (Modi Dictator) है या नहीं इसका निर्णय पाठक/जनता स्वयं लेंगे।
तानाशाह किसे कहते हैं
सर्वप्रथम हमें तानाशाह या अधिनायकवादी को समझना होगा, तानाशाही का अर्थ और परिभाषा के सन्दर्भ में विवेकपूर्ण विचार करना होगा तत्पश्चात भारत और मोदी के परिप्रेक्ष्य में तानाशाह होने या न होने का विचार किया जा सकता है।
तानाशाह : "तानाशाह का तात्पर्य है एक ऐसा शासक जो राज्य के नियमों और कानून से ऊपर हो और उसका शासन किसी निश्चित नियम-कानून से नहीं अपितु उसके वचन/आज्ञा से हो"
उदाहरण : इसे हम कुछ उदाहरण के माध्यम से भी समझने का प्रयास करेंगे :
- मान लिया जाय कि एक शासक जिसने अपने राज्य में रात में सोना निषेध कर दिया हो किन्तु वो स्वयं सो सकता है अर्थात उसके ऊपर राज्य के नियम व कानून लागू नहीं होंगे।
- मान लिया जाय कि शासक ने एक नया नियम बना दिया हो कि भोजन से पहले 2 मिनट सबको थाली बजाना होगा, जो बिना थाली बजाये भोजन करेगा वह दण्ड का पात्र होगा, किन्तु यह नियम उस शासक पर प्रभावी नहीं होगा। थाली बजाने का उदहारण विशेष रूप से प्रासंगिक है क्योंकि मोदी ने कोरोना काल में जनता से थाली बजवाया था। इस प्रसंग की आगे और चर्चा करेंगे।
- मान लिया जाय कि एक शासक ने यह नियम बना दिया हो कि सबको एक विवाह करना अनिवार्य है नहीं करने वाला भी दण्ड का पात्र होगा और एक से अधिक विवाह करने वाला भी दण्ड का पात्र होगा। किन्तु वह शासक उस नियम से प्रभावी न हो अर्थात शासक स्वयं अविवाहित रहे अथवा बहुविवाह करे, वह उस नियम के अधीन नहीं होगा।
इसके साथ ही एक विशेषता पुनः ये भी हो कि शासक नियम से ऊपर है अर्थात शासक नियम का पालन नहीं करेगा और यदि कोई शासक के ऊपर प्रश्न उठाएगा तो वह भी दंड का पात्र होगा। इस प्रकार उपरोक्त उदाहरणों के माध्यम से सरलता से तानाशाह शासक की पहचान की जा सकती है।
इस प्रकार ये स्पष्ट होता है कि राज्य की समस्त शक्तियां जिस शासक में निहित हो और वह शासक राज्य के नियमों से ऊपर हो तो उस शासक को तानाशाह कहा जा सकता है।
तानाशाह का दूसरा प्रकार : लोकतंत्र में तानाशाह का एक दूसरा प्रकार भी बताया जाता है, ऐसा शासक जिसने राज्य की विधि से सत्ता प्राप्त नहीं किया हो अर्थात उत्तराधिकार सिद्धांत का उल्लंघन करते हुये छल-बल-षड्यंत्र आदि का प्रयोग करके अनधिकृत रूप से सत्ता पर अधिकार कर लिया हो।
इसका उदहारण पाकिस्तान में कई बार सेना द्वारा तख्तापलट करना है। जब-जब पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष ने सत्ता को पदच्युत करके स्वयं को शासनाध्यक्ष घोषित किया था तब-तब वहां एक तानाशाह का शासन था। अर्थात सत्ता परिवर्तन करने वाला प्रत्येक सेनाध्यक्ष तानाशाह की श्रेणी में आता है। किन्तु यदि जिसे लोकतंत्र की परंपरा से सत्ता का हस्तांतरण किया गया हो तो वह तानाशाह नहीं कहा जा सकता।तानाशाह के लक्षण
एक तानाशाह को सरलता से पहचाना जा सकता है तथापि उसके कुछ विशेष लक्षण भी होते हैं जिससे तानाशाह के बारे में और सरलता से ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है :
- राज्य में एक तानाशाह शासक के विरुद्ध किसी प्रकार की कोई गतिविधि, कोई वक्तव्य नहीं किया जा सकता। 15-20 वर्षों से मोदी (वर्तमान प्रधानमंत्री जिसके ऊपर तानाशाह होने का आरोप लगाया जाता है) को जितनी गलियां दी जा रही है, अपशब्द कहे जा रहे हैं, विश्व में कोई दूसरा शासक नहीं है जिसने उतनी गालियां, अपशब्द सुना हो।
- एक तानाशाह बार-बार अजीबोगरीब नियम बनाता रहता है और बदलता रहता है। मोदी ने कई अजीबोगरीब नियम तो बनाया है, काम तो किया है जैसे नोटबंदी करना, GST लाना लेकिन जनता ने उसे दुबारा निर्वाचित करके ये सिद्ध कर दिया था कि ये तानाशाही नियम नहीं लोकतांत्रिक नियम था।
- एक तानाशाह के शासन में लोकतंत्र समाप्त हो जाता है अर्थात जनता के पास मतदान का अधिकार नहीं होता। भारत में वर्तमान सरकार का कार्यकाल पूर्ण हो गया है और लोकसभा चुनाव 2024 चल रहा है अर्थात जनता के पास मतदान का अधिकार सुरक्षित है।
- एक तानाशाह शासक या तो कड़ाई से धर्म पालन करने के लिये बाध्यकारी नियम बनाता है या फिर धर्म के विरुद्ध जो जनता को अस्वीकार तो हो किन्तु मानने के लिये बाध्य होगा। इसके कुछ उदहारण भी हैं, जैसे हिन्दू में बहु विवाह धर्मशास्त्रों से बाधित नहीं है किन्तु शासक के नियम से बाधित है। बाल विवाह धर्मशास्त्रों से बाधित नहीं है किन्तु शासन के नियम से बाध्यकारी है। जिस सरकार ने ये नियम बनाये थे उसे तानाशाह शासक माना जा सकता है। "लिव एन्ड रिलेशनशिप" धर्मशास्त्रों से निषिद्ध आचरण है तथापि वर्त्तमान भारत में देखा जा रहा है कि इसे मान्यता देने का प्रयास किया जा रहा है। यद्यपि ऐसा प्रयास सत्तापक्ष ने नहीं किया है प्रत्युत इसका विरोध किया है। "लिव एन्ड रिलेशनशिप" को वैधानिक स्वीकृति देने के लिये न्यायपालिका को उत्सुक देखा गया है।
- एक तानाशाह शासक अपने विरोधियों का दमन करने के लिये स्वतंत्र होता है, विरोधियों का दमन बलपूर्वक करता है, इसके लिये किसी नियम-कानून की आवश्यकता नहीं होती।
- एक तानाशाह के शासन में आम जनता भयाक्रांत जीवन जीती है, जनता को अनेकों प्रकार के भय घर में भी होता है। वर्त्तमान भारत का प्रत्येक पुरुष आज भयभीत है कि पता नहीं कब उसकी पत्नी ही उसके ऊपर बलात्कार का आरोप लगा दे। यद्यपि इसमें किसी सत्तापक्ष का योगदान नहीं है ये भी न्यायपालिका द्वारा ही प्रभावी किया गया है। एक सामान्य पुरुष घर से बाहर इस प्रकार भयाक्रांत रहता है कि उसके ऊपर यौनशोषण का आरोप अब लगा तो तब लगा। पूरे देश का सवर्ण भयाक्रांत रहता है कि कब SC/ST एक्ट का शिकार हो जाये ज्ञात नहीं। ऐसा कानून जिस सरकार ने बनाया था वो तानाशाह था। वर्त्तमान भारत में सवर्णों को द्वितीय श्रेणी का नागरिक होने का भय व्याप्त है। वर्तमान भारत का प्रत्येक हिन्दू परिवार इस भय से भयभीत है कि उसके बच्चे पता नहीं कब किसके साथ भागकर विवाह कर ले या षड्यंत्र का शिकार हो जाये। जनता इस भय से भयाक्रांत है कि पता नहीं कब उसके संपत्ति कोई वक्फबोर्ड जैसी संस्था हड़प ले। यदि ये सभी भय मोदी सरकार की देन है तो मोदी 100% नहीं 1000% तानाशाह है।
- एक तानाशाह शासक किसी भी चूक के लिये कठोरतम दण्ड स्वयं देता है। लेकिन मोदी को हमने देखा कि जब प्रथम चंद्रयान क्रैश कर गया तो इसरो जाकर वैज्ञानिकों को साहस दिया, गले लगाया, पुनर्प्रयास के लिये प्रेरित किया और इसरो को सफलता पूर्वक चंद्रयान 2 पहुंचाया। यहां यह चर्चा नहीं कर सकते कि एक तानाशाह शासक क्या करता, लेकिन पाठक स्वयं समझ सकते हैं।
क्या मोदी तानाशाह है - Is Modi a Dictator
वर्त्तमान भारत के सम्बन्ध में बहुत सारी बातें ऊपर ही स्पष्ट हो चुकी है तथापि मोदी तानाशाह है अथवा नहीं इसे समझने हेतु कुछ और चर्चा भी अपेक्षित है।
कुछ वर्षों पूर्व महाराष्ट्र सरकार और परमबीर सिंह प्रकरण पर अर्णव स्वामी चर्चा कर रहा था, अर्णव गोस्वामी को किस प्रकार बंदी बनाया गया और क्या घटना घटित हुई देश ने उसे देखा है और जानता है। उस समय महाराष्ट्र में महाविकास अघारी की सरकार थी। ये तानाशाही थी या नहीं ?
कुछ महीने पहले जब बिहार में जदयू का राजद के साथ गठबंधन वाली सरकार थी तो मनीष काश्यप के साथ क्या-क्या घटना घटित हुयी देश ने वो भी देखा है। ये तानाशाही थी या नहीं ?
मोदी के विरोध में तो न जाने क्या-क्या लिखा-बोला गया है किन्तु मात्र इस कारण कोई किसी दण्ड का पात्र नहीं बना है। अभी तत्काल में दो मिम्स की विशेष रूप से चर्चा हुई जिसमें एक मीम मोदी के नाचने वाला था और दूसरा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का था। मोदी ने प्रतिक्रिया दिया मैं भी आनंद ले रहा हूँ और ममता बनर्जी ने शासनात्मक शक्ति का प्रयोग करते हुये कानूनी प्रतिक्रिया दिया। कौन तानाशाह है किस गठबंधन में तानाशाही प्रवृत्ति के लोग हैं देश समझ रही है।
अब बात भ्रष्टाचार के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की बात आती है और इसी कारण मोदी को तानाशाह बताया जा रहा है, क्योंकि जितने भी लोग मोदी को तानाशाह कह रहे हैं किसी न किसी भ्रष्टाचार के आरोपी हैं, तो क्या ये शर्त हो सकती है की यदि भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई न किया जाय तभी माना जायेगा की सरकार तानाशाह नहीं है।
ऐसा नहीं हो सकता, भ्रष्टाचार करने की छूट नहीं दी जा सकती और यदि सरकार भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई करती है नीति बनाती है तो उस प्रकरण में ये नहीं कहा जा सकता कि सरकार तानाशाह है। अपितु इस प्रकरण में सरकार को तानाशाह कहने से यही सिद्ध होता है कि सरकार को तानाशाह कहने वाले भ्रष्टाचारी हैं, भले ही न्यायालय में साक्ष्यों द्वारा सिद्ध न भी हों।
यहाँ एक गंभीर प्रश्न भी उत्पन्न होता है कि क्या लोकतंत्र को सिद्ध करने के लिये और सरकार तानाशाह नहीं है ये सिद्ध करने के लिये नेताओं, अधिकारियों को भ्रष्टाचार करने की छूट दी जा सकती है ?
और यदि इस प्रकार की छूट सरकार न दे तो क्या उस सरकार को तानाशाह कहा जाना चाहिये ?
क्या लोकतंत्र का ये अर्थ है कि नेताओं और अधिकारियों को कानूनों से ऊपर रखा जाय ?
और यदि ऐसा होता है कि नेताओं और अधिकारियों को कानून से ऊपर रख दिया जाय तो वो क्या होगा ? क्या वो तानाशाही नहीं होगी ?
वास्तविक तानाशाही वही होगी जब नेताओं, अधिकारियों को भ्रष्टाचार करने की छूट देते हुये कानून से ऊपर रख दिया जाय, और यदि मोदी सरकार ने ऐसा नहीं किया है, ऐसी व्यवस्था थी जिसे दुरुस्त कर रही तो इससे क्या सिद्ध होता है मोदी सरकार तानाशाह है या तानाशाही को समाप्त कर रही है, इसका निर्णय जनता को स्वयं करना चाहिये।
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