आखिरकार मोदी की सबसे बड़ी गलती पकड़ी गई और इसके लिये मोदी की कड़ी निंदा भी करूंगा जो इस आलेख का विषय है। पहले मोदी की उस गलती को समझेंगे जो उन्होंने लगातार 10 वर्षों तक किया है और किसी को पता भी नहीं चला। फिर निंदा भी की जायेगी, खड़ी-खोटी सुनाई जायेगी कि इतना बड़ा धोखा देश को क्यों दिया !
मोदी की गलती पकड़ी गई, अब क्या होगा - angry modi
दस वर्षों तक प्रधानमंत्री रहने के बाद मोदी की एक सबसे बड़ी गलती सामने आयी है जिसका पर्दाफास भी स्वयं मोदी ने ही किया है। विरोधी ने इस गलती के लिये कभी भी मोदी को नहीं कोसा, निंदा नहीं की, हंगामा, धारणा-प्रदर्शन कुछ भी नहीं किया यहां तक कि एक बार भी चर्चा नहीं किया। वहीं राष्ट्रवादियों में लगातार 10 वर्षों तक मोदी को यह गलती सांकेतिक रूप से आभास दिलाने का प्रयास किया, किन्तु मोदी थे की अपनी ही धुन में रमे रहे।
नोट : आलेख में किया, करता आदि शब्दों का प्रयोग वाक्यप्रवाह के आधार पर किया गया है, इसे तू-तड़ाक वाली भाषा प्रयोग समझने की भूल न करें।
क्या है मोदी की सबसे बड़ी गलती ?
मोदी की सबसे बड़ी गलती है देशद्रोहियों (टुकड़े-टुकड़े गैंग) को अभय प्रदान करना। अभिभावक को इतना भी उदार नहीं होना चाहिये कि बच्चे की प्रत्येक गलती को चुप-चाप देखता रहे, यदि अभिभावक ऐसा करेगा तो एक दिन वह बच्चा नालायक हो जायेगा, असामाजिक हो जायेगा।
अंतरराष्ट्रीय गैंग : एक अंतरराष्ट्रीय गैंग है जो सशक्त भारत नहीं देख सकता और कुछ दिनों पहले ये बात मोदी ने भी बोला, राष्ट्रवादी पहले दिन से बोल रहा था लेकिन मोदी घोड़ा बेचकर सो रहे थे। उस अंतरराष्ट्रीय गैंग के दलाल देश के भीतर भी हैं और हमेशा षड्यंत्र करते रहते हैं। यद्यपि मोदी को और भी पहले से ज्ञात है हम ऐसा नहीं कह सकते की मोदी को पता ही नहीं था, ज्ञात रहते हुये भी आंख मूंदकर खुली छूट दे रखी थी। ज्ञात था इसीलिये तो कभी आन्दोलनजीवी कभी अर्बन नक्सल कहकर बताते रहते थे।
मास्टरमाइंड ने भी भेद खोला था : इस गैंग की गतिविधियों के लिये एक मास्टरमाइंड ने भी मीडिया में बताया था कि हमने पिच तैयार कर दिया था। ये बात 2019 के लोकसभा चुनाव और उससे पहले की साजिशों, आंदोलनों आदि के संबंध में किया गया था। चूँकि मोदी जी को पूरे खेल की जानकारी थी और मोदी ने आन्दोलनजीवी कहकर इशारा भी किया था इसलिये बाद में उस मास्टरमाइंड ने अपने कुकृत्यों पर पर्दा डालने के लिये राजनीतिक आवरण चढ़ाया और कह दिया कि हमने पिच तैयार किया।
इसी प्रकार मीडिया में देखा जाय तो बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो निश्चिंतता के साथ झूठ की खेती करते रहे और मोदी अपनी ऑंखें मूंदकर योग करते रहे। राष्ट्रवादियों ने कितना भी झकझोड़ा हो मोदी की कुम्भकर्णी निद्रा भंग नहीं हुई। टुकड़े-टुकड़े गैंग को भी फलने-फूलने का उतना ही अवसर दिया जितना एक देशभक्त को दिया।
देशभक्त भी ऐसे कट्टर निकले जो मोदीभक्त होने की बात को भी अंगीकार करते रहे लेकिन मोदी को बाल पकड़कर नहीं घसीटा, यद्यपि मोदीभक्त कहने का उद्देश्य यही होता था कि यही लोग मोदी की कालर पकड़ें, डंडे से पिटाई करें। डंडे से पीटने की बात भी एक सूरमा ने किया था जिसे कोई भूल नहीं सकता और मोदी ने उत्तर दिया कि मैंने सूर्य नमस्कार बढ़ा लिया है ताकि पीठ मजबूत हो जाये और डंडे की चोट सह ले। संभवतः राष्ट्रवादियों को ही सन्देश दिया था कि आप सब भी धैर्य बनाये रखना, बहकावे में आकर कुछ उल्टा-पुल्टा न कर बैठना।
मोदी की गलती : मोदी की गलती हमने जान लिया या सबने जान लिया ये अलग बात है, लेकिन गलती बोलने का अवसर भी मोदी ने स्वयं ही भाषण में भारत विरोधी अंतरराष्ट्रीय गैंग, मीडिया (देश विरोधी) आदि का उल्लेख करके दिया। ये अलग बात है कि राष्ट्रवादी इसे मोदी की गलती सिद्ध करने का प्रयास करें किन्तु मोदी ने वास्तव में गलती किया ये सत्य नहीं है मात्र ऐसा लगता है। मोदी वो शासक है जो भगवान श्रीकृष्ण की गीता से भी ज्ञान लेता है और चाणक्य नीति का भी अध्ययन करता है।
किन्तु इसे सही भी सिद्ध नहीं किया जा सकता कि राष्ट्रवादियों को भी फलने-फूलने का उतना ही अवसर प्रदान किया जितना टुकड़े-टुकड़े गैंग या अर्बन नक्सल को दिया। इसे मोदी की गलती कहा जा सकता है ।
फिर भी मोदी ने कुछ नहीं किया ये नहीं कहा जा सकता। मोदी भीतर-ही-भीतर बहुत कुछ कर रहे थे जिसके बदले बार-बार देश में आग लगाने की धमकी दी मिलती थी। ये अलग बात है कि इसे समझ लेना सरल नहीं था। जो मानसिकता 7 दशकों तक पुष्पित-पल्लवित हुयी उसकी जड़ें गहरी थी और जड़ों में मट्ठा डालकर 10 वर्षों तक मोदी ने उसकी जड़ों को नष्ट किया।
बुझते दिये की बाती : अब उस टुकड़े-टुकड़े गैंग जिसे अन्य भी कई सम्बोधन प्रदान किया जाता है की स्थिति बुझने वाले दिये के सामान हो गयी है जिसकी बाती भभक रही है। बाती भभकने का तात्पर्य है कि देश में अशांति का वातावरण बनाने का प्रयास करने लगे। जैसे तुष्टिकरण की सीमा लांघकर इस्लामिक राष्ट्र जैसे नियम बनाने की बात करना, शाह के वीडियो में वक्तव्य से छेड़छाड़ करके आरक्षण के विषय पर जाति विशेषों में असंतोष, आक्रोश, विद्रोह उत्पन्न करने का प्रयास करना।
बदला मोदी या गुस्से में मोदी (Angry Modi) : चुनाव की घोषणा होने से पहले ही मोदी में बदलाव हो गया और अब ऐसा लग रहा है की धैर्य की अति हो जाने से गुस्सा आ गया। चुनावी मौसम में भी विभिन्न संस्थाओं की विशेष सक्रियता, टुकड़े-टुकड़े गैंग के विरुद्ध कानून का प्रयोग आरम्भ कर देना, मीडिया के बारे में वक्तव्य देना इसी का संकेत कर रहा है।
आज के मोदी और पिछले दस वर्ष के मोदी में बहुत अधिक अंतर दिखने लगा है। सबका नाम लेने का अर्थ है कि आगे सबको दण्डित भी किया जायेगा। फिर भी सुधरने का अवसर एक बार दिया जा रहा है, मात्र उल्लेख करके संकेत किया जा रहा है कि मुझे तुम्हारे सारे काले-कारनामे ज्ञात हैं सुधर जाओ या रौद्र रूप देखो। मोदी अब बुलडोजर बाबा की तरह या और भी अधिक कठोरता दिखाने की तैयारी में हैं। टुकड़े-टुकड़े गैंग अर्थात देशविरोधी तत्वों के पास बुल्डोजर बाबा का दिया हुआ दो ही विकल्प होगा सुधर जाओ नहीं तो मिट्टी में मिला दूंगा।
पूरा आलेख पढ़ने के बाद भी यदि आपको मोदी की गलती ज्ञात न हुई हो, मोदी की खिंचाई समझ न आई हो तो पुनः ध्यान से पढ़ने की आवश्यकता है।
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