GST collection ने बनाया नया रिकॉर्ड 2 लाख करोड़ पार गया
अप्रैल 2024 माह के GST कलेक्शन का आंकड़ा आ गया है और 12.4% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गयी है। अप्रैल 2024 में GST ने 2 लाख करोड़ का स्तर पार किया।
वर्ष 2024-25 वित्तीय वर्ष के प्रथम माह का GST कलेक्शन आंकड़ा प्रसारित किया जा चुका है और इस वित्तीय वर्ष में प्रथम माह में 2 लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर चुका है जो एक नया रिकॉर्ड बन गया है और विपक्ष के आर्थिक विकास सम्बन्धी सभी प्रश्नों को निराधार सिद्ध करता है।
वार्षिक GST collection
आगे की चर्चा से पहले हम पिछले पांच वर्षों के GST कलेक्शन को और वृद्धि दर को भी समझना आवश्यक है :
- 2020 - ₹ 0.17 lakh crore
- 2021 - ₹ 1.41 lakh crore
- 2022 - ₹ 1.67 lakh crore
- 2023 - ₹ 1.87 lakh crore
- 2024 - ₹ 2.10 lakh crore
इसमें मात्र वर्ष 2020 का GST कलेक्शन 16 हजार करोड़ था जिसका कारण कोरोना त्रासदी थी। लेकिन उसके बाद से प्रतिवर्ष अप्रैल माह 12% से अधिक की वृद्धि अनवरत होती रही है जो प्रतिवर्ष देश में हो रहे आर्थिक विकास को दर्शाता है।
विपक्ष की आर्थिक चिंता
ऊपर हमनें पिछले पांच वर्षों का GST कलेक्शन अप्रैल को देखा जो विपक्ष के उन सभी आरोपों को निराधार सिद्ध करता है जो बार-बार विपक्ष उठाती रही है और चुनावी मुद्दा भी बनाती रही है।
- सर्वप्रथम तो विपक्ष GST को ही देश के आर्थिक विकास हेतु घातक बताती है। यदि GST देश के आर्थिक विकास हेतु घातक होता तो इस वृद्धिदर में निरंतरता कैसे होती ?
- विपक्ष अर्थव्यवस्था के चौपट करने की बात करती है। लेकिन ये आंकड़े बता रहे हैं कि निरंतर अर्थव्यवस्था में प्रगति दर्ज हुई है।
- विपक्ष जनता के लिये अनावश्यक बोझ भी बताती है। उसका उत्तर भी आंकड़े दे रहे हैं, यदि जनता को ये अनावश्यक बोझ लगता तो खरीददारी ही नहीं करती।
- इसी प्रकार गरीबी बढ़ने का मुद्दा भी विपक्ष उठाती रही है, यदि देश में गरीबी बढ़ रहा है तो ये खरीददारी कौन कर रहा है ? अर्थात विपक्ष के इस मुद्दे को भी GST कलेक्शन खंडित कराती है और यह सिद्ध करती है कि देश में गरीबी घट रही है।
व्यापारियों के लिये सिरदर्द
विपक्ष GST को व्यापारियों के लिये सिरदर्द भी बताती रही है। GST जब नया-नया प्रचलन में आया था तो प्रारंभिक 1 - 2 वर्ष अवश्य ही व्यापारियों के लिये सिरदर्द बना था किन्तु वर्त्तमान में व्यापारियों के लिये भी सुविधाजनक हो गया है। टैक्स तो व्यापारियों को देना ही पड़ता था चाहे जैसे दें। GST आने से टैक्स देने की प्रक्रिया में परिवर्तन हुआ कुछ वस्तुओं पर टैक्सदर में भी परिवर्तन हुआ। प्रक्रिया में परिवर्तन के कारण भले ही कुछ वर्षों तक व्यापारियों को समस्याओं का सामना पड़ा किन्तु अंततः व्यापारियों ने इसे मन से स्वीकारा और धीरे-धीरे पहले से अधिक सुविधाजनक भी पा रहा है।
जनता पर बोझ
जनता पर GST कैसे बोझ सिद्ध हो सकती है। यदि पहले जनता को वस्तु और सेवा के लिये कर नहीं देना रहा हो और GST आने से देना पड़ा हो तभी तो जनता पर बोझ समझा जा सकता है। जनता जिस प्रकार पहले भी वस्तु या सेवा पर टैक्स दे रही थी उसी प्रकार किंचित अंतर से बाद में दे रही है। जनता या उपभोक्ता पर अनावश्यक बोझ कैसे है यह समझना अत्यंत कठिन है।
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