भाजपा ने बिछाया जाल, रायबरेली में फंसे नौनिहाल | क्या है Triple R ?
राहुल गाँधी ने किया रायबरेली से नामांकन किया और कांग्रेस ने तीन "रा" गिनाया - राहुल, रायबरेली, राजयोग। लेकिन उन्हें पता भी नहीं है भाजपा ने क्या जाल बिछाया ?
अमेठी से हारने वाले राहुल उत्तर भारत के लोगों को अल्पज्ञ राजनीतिक समझ वाला कहकर अपने लिये केरल के वायनाड को चुना। रायबरेली राहुल गाँधी के परिवार की पारम्परिक सीट रही है। संघर्ष दिखना चाहिये इसलिये कांग्रेस चाहती परिवार के दोनों पारम्परिक सीटों से भाई बहन दोनों लड़ें मगर अमेठी में करारी हार होने के डर से दोनों में से कोई लड़ने का साहस नहीं कर पाये।
अंतिम क्षण तक राहुल गाँधी और प्रियंका दोनों ही रायबरेली से लड़ने को तो तैयार थे किन्तु अमेठी कोई नहीं जाना चाहता था इसी कारण अंतिम क्षणों में उस नारीशक्ति को पीछे छोड़ दिया गया जो पिछले चुनाव में नारा लगाती थी "लड़की हूँ लड़ सकती हूँ" और नौनिहाल को आगे बढ़ाया गया।
भाजपा ने बिछाया जाल
भाजपा को पूर्वानुमान था कि अमेठी से तो न राहुल लड़ेंगे और न ही प्रियंका। लेकिन उत्तरभारत में यदि राहुल गाँधी लड़ें तो भाजपा को अधिक लाभ की संभावना दिखाई देती है। इसी कारण भाजपा ने पहले से ही रायबरेली में जाल बिछा दिया ताकि राहुल किसी तरह से मैदान में आयें। भाजपा जानती है कि :
- राहुल गाँधी अपने भाषणों में ही इतनी गलतियां करेंगे जो उनके हारने के लिये पर्याप्त होगी।
- चुनाव मोदी और उत्तरप्रदेश में मोदी-योगी दोनों के नाम पर हो रहा है, भाजपा क्लीन स्वीप करने की तैयारी में है।
- इसलिये भाजपा ने रायबरेली में जानबूझ कर किसी बड़े नेता को टिकट न देकर दिनेश प्रताप सिंह को दिया ताकि राहुल गाँधी को थोड़ा साहस मिले।
- इस प्रकार भाजपा ने जाल बिछाया जिसमें राहुल गाँधी अंततः फंस ही गये। यद्यपि पहले भी भाजपा जैसे चाहती है वही राग लगाते हैं, रायबरेली बुलाने के पीछे भी भाजपा की कोई विशेष योजना है जिसका धीरे-धीरे अनवारण होगा।
रायबरेली से ही क्यों अमेठी से क्यों नहीं
यह प्रश्न ही मतदाताओं की आंखें खोलने वाला है कि राहुल गाँधी को लड़ना ही था और मोदी यदि हार ही रहे हैं तो :
- सबसे पहली बात तो ये है कि वाराणसी से चुनाव लड़ना चाहिये था।
- वाराणसी न सही जहां से पहले भी जीत कर संसद गये थे वहां से चुनाव लड़ते।
- अमेठी से न दोनों भाई-बहन में किसी का चुनाव न लड़ना यही बताता है कि स्मृति ईरानी से भी लड़ने का साहस नहीं रखते, और रात-दिन मोदी को अपशब्द कहकर मोदी से लड़ाई दिखाने का स्वांग करते हैं।
- भाजपा ने जानबूझ कर रायबरेली में फंसाने के लिये बड़े नेता को टिकट न देकर प्रलोभन दिया।
- कांग्रेस ने राहुल गाँधी को रायबरेली में चुनाव जीतने का ढाढ़स बंधाया, सुनिश्चित जीत कहकर चुनाव में उतारा।
- यदि राहुल अमेठी से चुनाव लड़ने का साहस करते तो प्रियंका रायबरेली से लड़ती, लेकिन राहुल को कांग्रेस किसी प्रकार भी अमेठी से चुनाव लड़ने का साहस न दे पाई तो बहन ने भाई के लिये त्याग किया।
आगे क्या होगा ?
मतदाताओं के मन में एक प्रश्न यह भी है कि आगे क्या होगा ? अब जबकि राहुल गांधी रायबरेली से नामांकन करा चुके हैं तो आगे के चुनाव में कुछ नयी बातें देखने को मिलेगी :
- लोकसभा चुनाव 2024 में अभी तक जनता दिन प्रतिदिन भयाक्रांत किया गया था हंसने-हंसाने का कोई अवसर प्राप्त नहीं हुआ।
- मनोरंजन के लिये मजेदार चुटकुलों का दौर शुरू होगा और जनता और नेता सभी थोड़ा हंसेगे।
- हंसना स्वास्थ्य के लिये लाभदायक होता है इसलिये सबका स्वास्थ्य अच्छा होगा।
भाजपा भी संभवतः यही चाहती है, क्योंकि कई प्रकार के लाभ दिखाई दे रहे हैं जैसे जनता को मनोरंजन और स्वास्थ्य का लाभ मिलना, एक सीट के बदले कई अन्य सीटों पर बढ़त इत्यादि। अभी तक चुनाव में जनता तुष्टिकरण, आरक्षण, संपत्ति पर खतड़ा, वोट जिहाद आदि विषयों से भयाक्रांत थी। भाजपा को भी ये रास नहीं आ रहा था, भाजपा भी चाहती है कि थोड़ा मनोरंजन हो।
यदि भाजपा नहीं भी चाहती हो तो भी जनता के उत्तम स्वास्थ्य हेतु मोदी जी से यही निवेदन करना चाहूंगा की यदि एक सीट छोड़ने से कई सीटें बढ़ने वाली हो तो एक सीट छोड़ देने में कोई हानि नहीं है, जनता को हंसने-हंसाने से स्वास्थ्य का लाभ होगा जो "एक पंथ द्वि काज" होगा अतः एक सीट छोड़ ही देना अच्छा रहेगा। क्योंकि यदि अभी एक सीट अभी छोड़ भी देती है तो आगे पुनः दुबारा अवसर प्राप्त होगा ही होगा, इस कारण एक सीट की हानि भी नहीं कही जा सकती।
भाजपा से ऐसा निवेदन इसलिये करना पर रहा है कि इसमें किसी प्रकार की हानि नहीं दिख रही है लाभ ही लाभ दिखाई देता है।
प्रियंका ने क्या-क्या कहा ?
- वो 6 मई से चुनाव तक बरेली में ही रहेगी : क्या केवल बरेली में ही चुनाव होगा, बाकि पूरे देश में नहीं अथवा हार मान चुकी हैं।
- हम सेवा की राजनीति वापस चाहते हैं, और इसकी शुरुआत अमेठी से करेंगे : तो क्या मानती हैं कि इससे पहले सेवा नहीं करती थी ये मानती हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा
- मैंने पहले ही कहा था कि कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता भाग जायेगी।
- मैंने पहले ही कहा था कि शहजादे वायनाड हारने वाले हैं, हार के डर से दूसरी सीट पर भी लड़ेंगे।
- अमेठी से डरते-डरते रायबरेली में रास्ता ढूंढ रहे हैं।
- ये सबको कहते हैं डरो मत डरो मत, मैं भी उनको कहता हूँ - अरे डरो मत, भागो मत।
रायबरेली से नामांकन की सबसे बड़ी बात : रायबरेली से राहुल गांधी के नामांकन की सबसे बड़ी बात ये देखने को मिली कि सड़कों पर कांग्रेस के कार्यकर्त्ता कम और भाजपा के कार्यकर्त्ता अधिक देखे गये जो राजनीतिक तापमान को बढ़ाने वाला ही नहीं था अपितु ऊपर जो कहा गया है कि "भाजपा ने बिछाया जाल, रायबरेली में फंसे नौनिहाल" की पुष्टि होती है।
दूसरी बड़ी बात : दूसरी महत्वपूर्ण बात ये रही कि रायबरेली से राहुल गांधी के नामांकन में खडगे, कमलनाथ, सोनियां गांधी, प्रियंका गांधी भी उपस्थित रही किन्तु मीडिया ने कितना भी पूछा इनमें से किसी ने भी एक शब्द नहीं बोला, मीडिया ने उकसाया भी डरो मत डरो मत । लोग कहने लगे कुछ बोलने लायक ही नहीं है तो बोलें क्या?
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