जिनको भिखमंगे पाकिस्तान से प्रेम है वो पाकिस्तान चले जायें : योगी
ये स्वतंत्र भारत सबसे विचित्र विडम्बना है कि पहले तो एक विशेष वर्ग ने देश के टुकड़े करके बड़ा भूभाग अधिकृत कर लिया और फिर निर्लज्ज बनकर भारत में रहकर भी पाकिस्तान से प्रेम करता है।
यद्यपि ये नहीं कहा जा सकता पाकिस्तान के बाद भारत में जो मुसलमान रह गये वो भी पाकिस्तान प्रेमी ही हैं और भारत के प्रति उनके मन में प्रेम नहीं है। लेकिन कुछ ऐसे तत्व षड्यंत्र करने वाले अवश्य हैं जो इस्लाम के नाम पर भारत के मुसलमानों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास करते हैं। इन दिग्भ्रमित करने वालों में तीन प्रकार के लोग हैं और इनको चिह्नित करना आवश्यक है।
कौन हैं षड्यंत्रकर्ता
विभाजन के उपरांत भी जो मुसलमान भारत में रह गये, निश्चित रूप से उसका कारण देशप्रेम ही था, इसमें किसी प्रकार का संशय नहीं रखना चाहये। किन्तु कुछ षड्यंत्रकारी भी अवश्य थे जो षड्यंत्र करने के उद्देश्य से भारत में रह गये, और इसको वर्त्तमान भारत कि स्थिति से स्पष्टतः समझा जा सकता है। फिर उन षड्यंत्रकारियों ने दो अन्य शाखाओं का भी विस्तार कर लिया। इन्हें इस प्रकार तीन वर्गों में रखकर देखा जाना चाहिये :
1. गज़वा-ए-हिन्द : इस वर्ग में मुख्य रूप से विशेष वर्ग के षड्यंत्रकारी ही हैं जिनका उद्देश्य भारत को भी इस्लामिक स्टेट बनाना है। मुख्य रूप से यही देश के आम मुसलमानों को भी भ्रमित करते हैं, उकसाते हैं, और इस्लामिक स्टेट बनाने के लिये जिहाद का पाठ भी पढ़ाते हैं। इसका उदहारण कश्मीर बना जिसे कुछ वर्षों पूर्व हिन्दुमुक्त कर लिया गया था। देश (सम्पूर्ण हिन्दू-मुसलमान) के लिये ये आवश्यक है कि इन षड्यंत्रकर्ताओं को पहचाने और उनका भेद भी खोले।
वो लोग भी इसी वर्ग में आते हैं जिसकी चर्चा करते हुये उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनावी सभा में कहा कि कुछ लोग चिढ़ाने के लिये गोमांस खाते हैं।
2. तुष्टिकरण : गज़वा-ए-हिन्द के षड्यंत्रकारियों ने मुस्लिम मतदाताओं का ध्रुवीकरण किया जिसके भारत में में एक अन्य वर्ग का जन्म हुआ जो तुष्टिकरण करने लगे। और ये तुष्टिकरण करने वाले भी उतने ही हानिकारक हैं जितने प्रथम श्रेणी के षड्यंत्रकारी। ये तुष्टिकरण करने वाले ही हैं जिन्होंने कसाब को हिन्दू कहा था, हिन्दू आतंकवाद गढ़ा था, कर्नल पुरोहित ने भी अपने वक्तव्य में इनका भेद खोला है ये तुष्टिकरण करने वाले तत्व किस प्रकार बलपूर्वक हिन्दू आतंकवाद को गढ़ रहे थे।
ये तुष्टिकरण करने वाले ही हैं जो आतंकवादियों की फांसी पर रोते हैं, रात के 2 बजे भी उसकी फांसी को रोकने के लिये सर्वोच्च न्यायालय को खुलवा लेते हैं। यासीन मलिक को आका मानते थे, सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को पलट देते थे, मुगलों को महान कहते रहे और आज भी गुणगान करते हैं। राम मंदिर न बने इसके लिये अथक प्रयास किये, प्राण-प्रतिष्ठा में भी वोट-बैंक खिसकने के भय से सम्मिलित नहीं हुये।
तुष्टिकरण करने वाला वर्ग अन्य दोनों वर्गों से अधिक विकराल हैं। इन्होंने राजनीति और शासन तंत्र में भी अपनी पैठ बना रखे हैं और अन्य दोनों वर्गों को संरक्षण देने का कार्य करते हैं। पाकिस्तान के पास परमाणु बम है अब ये बात कहना पाकिस्तान तो भूल गया है किन्तु भारत में पाये जाने वाले ये प्राणी करने लगे हैं। भारत में रहकर पाकिस्तान का पक्ष लेते हैं।
दूरदर्शन चैनलों पर होने वाले बहस में भी यही वर्ग होते हैं जो किसी आतंकवादी को डॉक्टर तो किसी को गरीब का बच्चा, कभी भटके हुये नौजवान कहते रहते हैं। कभी भी आतंकवाद-अलगाववाद की स्पष्ट निंदा तक नहीं करते, यदि दवाब में तनिक काल के लिये गलत बोलें भी तो उससे अधिक किन्तु-परन्तु-लेकिन लगाते हैं।
जो रामभक्त हैं, वे राष्ट्रभक्त भी हैं...
— Yogi Adityanath (मोदी का परिवार) (@myogiadityanath) May 14, 2024
वे पहले देश के विकास के बारे में सोच रहे हैं,
वे भारत के उत्थान के बारे में सोच रहे हैं,
वे भारत को परम वैभव की स्थिति में पहुंचाने की सोच रहे हैं... pic.twitter.com/ZS4MFFPmUb
3. आतंकवाद और अलगाववाद : आतंकवादी और अलगाववादी भी एक तृतीय वर्ग में आता है इसमें आतंकवाद की विशेष भूमिका है। कई दशकों से देश आतंकवाद का शिकार रहा है। आतंकवादियों ने अपने स्लीपर सेल भी बनाये, IT सेल की चर्चा नहीं की जाती है उनके IT सेल भी निश्चित रूप से हैं जो दिग्भ्रमित करने का कार्य करते हैं। चाहे प्रलोभन से हो या जिहाद सिखाने से हो इनको सक्रिय देखा जा रहा है। अब तो वोट के लिये भी खुलेआम वोट जिहाद करने की बात तक करने लगे हैं।
स्लीपर सेल के लिये तो ये कहा जाता है कि यदि इसको निर्देश देने वाला समाप्त हो जायें तो ये निष्क्रिय रहते हैं तथापि इसमें भी षड्यंत्र ही देखना चाहिये कि ये कुतर्क स्लीपर सेल को संरक्षण देने के लिये रचा गया है ताकि यदि इनके आका समाप्त भी हो जायें तो भी ये बचे रहें और भविष्य में स्वतः सक्रिय हो जायें। अतः स्लीपर सेल को इस कुतर्क के कारण बचे रहने देना भविष्य में अनर्थ का मूल होगा।
इसी तरह किसी भी प्रकार से IT सेल को भी नकारा नहीं जा सकता जिनको मात्र इतना ही प्रशिक्षण दिया गया हो कि दिग्भ्रमित करो इससे अधिक कुछ मत करो। वर्त्तमान में यद्यपि शीघ्र ही भ्रामक सूचनायें खंडित हो जाती है तथापि भ्रामक सूचनाओं के माध्यम से लोगों को भ्रमित करने का प्रयास सतत देखा जा रहा है। IT सेल के कुछ लोग तो मीडिया में भी हैं ऐसा संदेह होता है।
पाकिस्तान क्यों चले जायें
इन तत्वों को पाकिस्तान चले जाने की बात पहले भी की जाती रही है, लेकिन दृढ़ता पूर्वक नहीं हो पाई। अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ऐसा संकेत दिया है इसका तात्पर्य सामान्य नहीं समझा जाना चाहिये। दृढ़ता पूर्वक ये कहना कि पाकिस्तान से प्रेम है तो पाकिस्तान चले जाना चाहिये का तात्पर्य ये है कि भारत में रहकर ऐसा करने वालों के ऊपर आगे कठोर व्यवहार करना। अर्थात संकेत ये है कि जो हुआ सो हुआ किन्तु आगे पाकिस्तान के राग न अलापें ये समझाया गया है।
यदि सुधर न सकते हैं तो अवश्य पाकिस्तान चले जाना चाहिये, क्योंकि सहिष्णुता की भी कोई सीमा होती है। सहिष्णुता की दुहाई देकर, हाथ में संविधान लेकर देश के विरुद्ध (जो देश और संस्कृति के लिये घातक हो) किसी कार्य करने की स्वतंत्रता नहीं दी जा सकती। अधिक घातक वही वर्ग है जो दिन-रात संविधान की रट तो लगाता है किन्तु उसकी सोच और पाकिस्तान की सोच मिलती है।
सोच मिलने का तात्पर्य गंभीर है, मात्र स्वर मिलना नहीं। सोच मिलने का तात्पर्य है कि जिस प्रकार पाकिस्तान भारत को येन-केन-प्रकारेण हानि पहुंचाना चाहता है उसी प्रकार पाकिस्तानी सोच वाले वो व्यक्ति भी जो भारत का खाता है, संविधान भी हाथ में लेकर चलता है लेकिन पाकिस्तान से अधिक खतरनाक हैं। क्योंकि पाकिस्तान से लड़ना सरल है किन्तु ये लोग भारत के नेता, पदाधिकारी, प्रसिद्ध व्यक्ति आदि बनकर संविधान की ओट लेकर भीतरघात कर रहे हैं।
संभवतः इन भीतरघातियों के अच्छे दिन कभी नहीं आने वाले हैं। इसलिये योगी के वक्तव्य से यह संकेत लेना चाहिये कि अच्छे बन जाओ या पाकिस्तान चले जाओ। अच्छे दिन आम जनता के लिये हैं देशद्रोहियों के नहीं।
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